Wednesday 9 January 2013

जगकल्याण स्नेह मिलन 2013

कोलकाता। धार्मिक, सामाजिक एवं पारिवारिक समाचार पत्रिका "जगकल्याण' का स्नेह मिलन समारोह-2013 चारों धामों में एक धाम पुरीधाम में 26 एवं 27 जनवरी 2013 को आयोजित होगा। 
श्री विकास व्यास जी के सान्निध्य में आयोजित होने वाले महोत्सव में समारोह स्थल चाणक्य बीएनआर होटल में श्री गणेशजी, श्री नारायण भगवान जी, श्री श्याम दरबार, श्री बाबा गंगाराम जी, श्री वैष्णों देवी जी, श्री सालासर बालाजी, श्री मेहंदीपुर बालाजी, श्री मोहिनी सती दादीजी, श्री गौमाता जी एवं अन्य देवी देवताओं के दरबार सजाये जाएंगे। दरबार के संयोजकगण हैं- सर्वश्री प्रमोद-बरखा अग्रवाल, सांवरमल-सरोज अग्रवाल, राजीव-शशि काबरा, सत्यनारायण-नीलू सरावगी, कालीप्रसाद-बबिता, सलोनी गुप्ता, बिमल -मनोज कुमार अग्रवाल, भवानीशंकर-मंजू मुरारका, शिवप्रकाश-ऊषा, सुशील-शशि परसरामपुरिया, नाथानी परिवार, किशन-लक्ष्मी शर्मा
महोत्सव का उद्‌घाटन करेंगे भुवनेश्वर के उद्योगपति श्री भगतराम गुप्ता, प्रधान अतिथि होंगे ओड़िशा के पर्यटन-सांस्कृतिक विभाग के मंत्री एम. मोहन्ती, समारोह अध्यक्ष श्री रविन्द्र कुमार लडिया, दीप प्रज्ज्वलन श्री प्रदीप-सुनीता अग्रवाल (संघई), ज्योत प्रज्जवलन श्री नवल-ऊषा सुल्तानिया, मुख्य अतिथि श्री भगवान सुपाकर एवं श्री किशन लाल भरतिया, प्रधान वक्ता श्री गणेश कन्दोई होंगे। 
महोत्सव में भव्य दरबारों की झांकिया, सुविख्यात गायक कलाकारों द्वारा भजन अमृतवर्षा, अनाथ बच्चों में पोशाक वितरण, रासलीला एवं नृत्यनाटिकाएं, श्री जगन्नाथ मंदिर में रात्रि श़ृंगार, जगन्नाथजी मंदिर के शिखर पर ध्वजा अर्पण, 108 ब्राह्मण भोजन कार्यक्रम होंगे। महोत्सव के स्थानीय व्यवस्थापक पुरी मंदिर के तीर्थगुरू श्री शंभुनाथ जी खुंटिया होंगे। 
महोत्सव में  भजनों की रसवर्षा करेंगे मुम्बई के बिनोद राठौड़, विश्वास राय, अजीत-मनोज, संतोष शर्मा, अनिल लाटा, रवि बेरीवाल, राधारानी, हरजीत सिंह "हीरा', दलजीत परवाना, कृष्णमूर्ति, सेवासिंह "साहिल', शांतिदेवी राठी, अरुण मित्तल, विशाल कुमार, साहिल शर्मा एवं अन्य कलाकार। श्री नारायण पाण्डेय एवं उनके साथी कलाकार ओड़िशा के लोकप्रिय नृत्य की प्रस्तुति करेंगे। भोपाल के श्री सुरेश राज विशेष आरती नृत्य प्रस्तुत करेंगे। नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत करेंगे रंजीत मल्होत्रा, कुमार दीपक, मयूरी, बंटी-तम्‌शा एवं अन्य कलाकार। होटल चाणक्य बीएनआर के बुकिंग मैनेजर श्री राहुल, श्री जितेन्द्र सिंह एवं होटल नरेन पैलेस के मैनेजर श्री पी.के. सारंगी का भी कार्यक्रम में विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है।


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Monday 7 January 2013

Rashiphal 2013 : वर्ष 2013 में कैसा होगा आपका भविष्य?


क्या नया साल 2013 आपको देगा चमकदार सफलता?

मेष- अश्विनी भरणी और कृतिका नक्षत्र के प्रथम चरण के संयोग से मेष राशि का निर्माण हुआ है। इसके स्वामी मंगल हैं एवं मंगल को सेनानायक का पद प्राप्त है। इस राशि के जातक साहसी, अभिमानी और मित्रों से प्रेम रखने वाले होते हैं। मेष राशि वालों के लिए यह वर्ष धन-प्रॉपर्टी के साथ भौतिक सुख-समृद्धि वाला रहेगा। इस वर्ष कुछ नए लोग जुड़ेंगे एवं अतिव्ययता से परेशानी का सामना करना पड़ेगा। छोटे विचार वालों से बचना होगा। धर्म-पुण्य के कार्य में विघ्न आएंगे। अतिलोभ की वृत्ति उभर कर सामने आएगी। अत: सोच-समझ कर कार्य करें। नौकरी में संकट का सामना करना पड़ेगा। पारिवारिक क्लेश रहेगा। भागीदारी वाले कार्य सावधानी से करें। नाना-मामा पक्ष से संतोष मिलेगा। पेट की परेशानी आ सकती है। स्त्रियों को भी यह वर्ष मनोवांछित फल देगा। कुछ समय पति पक्ष से असंतोष की स्थिति बनेगी। विद्यार्थी, कृषक लाभान्वित होंगे। राजनीति एवं नौकरी वालों के लिए यह वर्ष मध्यम रहेगा। व्यापारी के लिए भी सफल वर्ष रहेगा। इस वर्ष  राहु-केतु ग्रह के जाप एवं शांति पूजन करना चाहिए।
वृषभ- वृषभ राशि कृतिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी और मृगाशिरा नक्षत्र के प्रथम और द्वितीय चरणों के संयोग से बनी है। इसका राशि स्वामी शुक्र है। मंत्रीमंडल में इसे मंत्री का पद प्राप्त है। इस राशि का जातक यदि कृष्ण पक्ष में जन्म ले तो उसे दमा इत्यादि होने की संभावना रहती है। इस राशि के जातक स्वभाव से गंभीर और विनम्रशील होते है।  वृषभ राशि वाले जातको के लिए यह वर्ष उमंग, उत्साह वाला रहेगा। परोपकार, वात्सल्य भाव का प्रादुर्भाव होगा। विशिष्ट कार्य सिद्धि के साथ आत्मबल बढेग़ा। वर्ष में शारीरिक कष्ट, दुख के साथ जीवनसाथी से कुछ वियोग के योग बनेंगे। इस वर्ष नि:संतान को संतान प्राप्ति के योग है। जून से अचल सम्पति के प्रति चिंता व नवीन स्थायी काम के योग बनेंगे। सामाजिक व आर्थिक सम्मान में बढ़ोतरी होगी। विद्यार्थी एवं राजनैतिक व्यक्ति को सफलता मिलेगी। व्यापारियों को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। वर्ष में शिव आराधना के साथ राहु-केतु की शांति लाभदायक रहेगी।
मिथुन- मिथुन राशि मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय-चतुर्थ चरण, आर्द्रा नक्षत्र और पुनर्वसु के तीन चरणों के संयोग से बनी है। मिथुन राशि के स्वामी बुध है। बुध का पद युवराज का है। मिथुन राशि के जातक स्थिर बुद्धि के नहीं होते हैं। विषय में आसक्त होते हैं। प्राय: 30 वर्ष की उम्र के बाद इस राशि वालों का भाग्योदय होता है। बेईमानी से धन कमाना इन्हें रास नहीं आता। सामाजिक प्रतिष्ठा की चाहत हमेशा रहती है। मिथुन राशि वालों के लिए यह वर्ष शुभाशुभ, पीड़ा तथा कर्ज की स्थिति वाला रहेगा। खर्च पर संयम करना पड़ेगा। संबंधियों से उदासीनता प्राप्त होगी। कुटुंब में मतभेद के योग बनते हैं। भूमि-भवन एवं भौतिक साधनों पर अधिक खर्च होगा। पत्नी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। जून से पुराने कार्य पूर्ण करने का अवसर रहेगा। मन में उत्साह, बल, बुद्धि का परिवर्तन होगा। अच्छे विचार से संतान का सुख प्राप्त होगा। न्यायिक उलझनों से मुक्ति मिलेगी। रोगादि से राहत प्राप्त होगी। विविध कार्य से आर्थिक स्थिति सुधरेगी। व्यापारी, कृषक एवं राजनैतिक सफलता मिलेगी। नौकरी में तकलीफ रहेगी। इस वर्ष गुरु जाप एवं दान-पूजन करने से लाभ मिलेगा।
कर्क- कर्क राशि पुनर्वसु नक्षत्र के चतुर्थ चरण पुष्य और अश्लेषा नक्षत्रों से बनी है। इस राशि के राशि स्वामी चंद्र है। जब सूर्य इस राशि पर जाते है, तो सूर्य उत्तरायन से दक्षिणायन की ओर जाना प्रारंभ करते है। कर्क राशि वाले जातक भावुक, बुद्धिजीवी एवं कठिन से कठिन कार्य को सरलतम करने वाले होते हैं। कर्क राशि वाले मित्रों की राय पर अधिक विश्वास करने वाले होते हैं। इस कारण कभी-कभी इनके साथ धोखा भी होता है। कर्क राशि वालों के लिए इस का वर्ष पूर्वार्द्ध विचित्र, उत्कृष्ट लाभ, मान, यश, पराक्रम, शौर्य, बल-बुद्धि से लाभ वाला रहेगा। परंतु संतान पक्ष से चिंता वाला रहेगा। उच्चाकांक्षा से ऊपर उठकर धर्म-कर्म का ध्यान रखकर काम करना होगा। जिससे गृहस्थ जीवन भौतिक सुख व झगड़े विवाद से मुक्त होगा। शनि की पनौती ढैय्या चल रही है। यह थोड़ी स्वास्थ्य एवं पारिवारिक तकलीफ दे सकता है। अविवाहित के विवाह के योग है। जून से कुछ परिवर्तन होगा। तीर्थयात्रा के लिए कर्ज के योग बनेंगे। कामवासना में वृद्धि होगी। हानि के योग बनेंगे। शुभाशुभ खर्च, बुद्धि में चंचलता रहेगी एवं संतान से दूरी के योग बन सकते हैं। कृषक, व्यापारी को लाभ मिलेगा। इस वर्ष शनि के जाप-पूजन, दान करने से लाभ मिलेगा। 
सिंह- सिंह राशि मघा, पूर्वा-फाल्गुनी और उत्तरा-फाल्गुनी के प्रथम चरण से बनी है। इसके राशि स्वामी सूर्य है। ग्रहमंडल में सिंह राशि राजा के पद पर अधिष्ठित है। इस राशि के जातक अत्यंत उग्र और क्रोधी स्वभाव के साथ स्पष्टवादी भी होते हैं। इस स्वभाव के कारण इस राशि के जातक संघर्षमय जीवन व्यतीत करते हैं। यदि इस राशि वाले जातक के जन्म लग्न के समय सूर्य कमजोर स्थिति में हो तो जातक को जोड़ों का दर्द, पेट और पाचन की तकलीफ रहती है। सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष मंगलकारी, व्यापार-कारोबार में विस्तार वाला रहेगा। राज्य पक्ष से मान-सम्मान मिलने के योग है। स्थिर मन से काम करना होगा। जानवर एवं वाहन से सावधान रहें। अति स्वाभिमान, क्रोध का त्याग करें। पराक्रम, शौर्य से अनेक प्रकार की सफलता मिलेगी। शत्रु परास्त होंगे। माता पक्ष से ठीक व्यवहार नहीं रहेगा। न्यायिक उलझनों से मुक्ति मिल जाएगी। जून से कुटुंब में असमानता के अलावा शौर्य, पराक्रम, बुद्धि से बंधु एवं मित्रों से लाभ और सुख मिलेगा। शिक्षकों के लिए यह वर्ष श्रेष्ठ रहेगा। राजनीति करने वाले, व्यापारी व कृषक सुखी रहेंगे। इस वर्ष राहु-केतु के जप विशेष लाभदायक रहेंगे।
कन्या- कन्या राशि उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र के तीन चरण हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र के दो चरणों के योग से बनी है। कन्या राशि का स्वामी बुध है। यह राशि रात्रि में बलवती होती है। कन्या राशि के जातक परिश्रमी, विषयासक्त,विघ्न-बाधाओं पर साधारण रूप से विजय प्राप्त करने वाले होते हैं। कन्या राशि के जातक परिवार के प्रति नि:स्वार्थ समर्पित रहते हैं। कन्या राशि वालों के लिए यह वर्ष श्रेष्ठतम है। 2013 भाग्य-वृद्धि, लाभ प्रतिष्ठा में इच्छित फल देने वाला रहेगा। मनोरथ सिद्ध होने के साथ कोष-खजाने में वृद्धि होगी। स्थायी संपत्ति के योग है। जीवन सुखमय होगा। संगीत कला से सम्मान के योग है। भावुकता में आकर किसी पर अधिक विश्वास नहीं करें अन्यथा धोखा हो सकता है। जून से भूमि-भवन एवं भौतिक सुख में वृद्धि के योग बनते हैं। शत्रु (न्यायिक) से छुटकारा मिलेगा। कृषक, व्यापारी के लिए वर्ष सुखमय रहेगा। नौकरी वालों की पदोन्नति में विलंब होगा। जल एवं वायु यात्रा के योग है। इस वर्ष गुरु आराधना लाभप्रद रहेगी। 
तुला- तुला राशि चित्रा नक्षत्र के दो चरण स्वाति और विशाखा नक्षत्र के तीन चरणों के योग से बनी है। तुला राशि के राशि-स्वामी शुक्र है। यह दिन में बलशाली होती है। तुला राशि के जातक ईमानदार, सत्यप्रिय, न्यायवादी, प्रलोभन से मुक्त एवं त्यागी स्वभाव के होते हैं। परिश्रमी, शांतिप्रिय एवं परिजनों से स्नेहभाव रखने वाले होते हैं।  तुला राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि की साढ़ेसाती के दूसरे ढैया वाला रहेगा। यह वर्ष मिश्रित फल वाला रहेगा। सुख-दुख के साथ पूर्वार्द्ध में अपमान, अपयश, संघर्ष जैसी स्थिति कर्ज, खर्च अनायास विषमता का सामना करना पड़ेगा। स्वास्थ्य की तकलीफ हो सकती है। अपनी वाणी पर भी संयम रखें। राजनीति में सोचकर कार्य करें। विरोध का सामना करना पड़ेगा। जून से सुख-शांति कार्यों में उन्नति होने से मन में उत्साह रहेगा। गृहस्थ-जीवन में सुख एवं उन्नति होगी। संतोष की भावना, संकल्प शक्ति मजबूत होगी। विद्यार्थी को शिक्षा में रूकावट आएगी। अत: गणेशजी की आराधना करें। व्यापारी वर्ग सुखी रहेगा। कृषि में मध्यम लाभ मिलेगा। नौकरी वालों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। शनि के जप एवं गुरु आराधना इस वर्ष के लिए लाभदायक रहेगी। 
वृश्चिक- वृश्चिक राशि विशाखा नक्षत्र के एक चरण अनुराधा नक्षत्र और ज्येष्ठा नक्षत्र से बनी है। वृश्चिक राशि का राशि-स्वामी मंगल है। यह रात्रि में बलशाली होकर उत्तर दिशा की स्वामी है। इस राशि के जातक कठोर परिश्रमी, चरित्रवान, ईमानदार, जिद्दी एवं अपनी वाणी पर टिके रहने वाले होते हैं। विपरीत स्थिति को अनुकूल बनाने में चतुर होते हैं, अधिकतर 25 वर्ष की उम्र के बाद ही इनका भाग्योदय होता है। वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि की साढ़ेसाती के प्रथम ढैय्या वाला रहेगा। शुभाशुभ मिश्रित फलवाला, मानसिक तनाव व चिड़चिड़ापन एवं अनेक भूचाल के साथ सफलता मिलने वाला वर्ष रहेगा। महत्वकांक्षा त्याग कर अपने समय अनुसार फल पाकर संतोष रहेगा। असमय अपवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। दोषारोपण की स्थिति भी आ सकती है। शुभ-मंगल कार्य में खर्च होगा। कर्ज की स्थिति से बचें झगडे़ की स्थिति के योग बनते हैं। स्नायु एवं पेट संबंधी तकलीफ हो सकती है। अपना ध्यान रखें। जून से अपने-पराए सभी से असहयोग-कातरता एवं दूरी हो सकती है। विद्यार्थी को विशेष प्रयास करना पड़ेगा। व्यापारी वर्ग को मध्यम लाभ मिलेगा। कृषक को विशेष लाभ मिलेगा। राजनैतिक व्यक्ति अपमानित हो सकते हैं। नौकरी वालों के लिए वर्ष ठीक रहेगा। 
धनु- धनु राशि मूल नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम चरण से बनी है। धनु राशि के राशि-स्वामी गुरु है। ग्रहमंडल में इसे प्रधानमंत्री का पद प्राप्त है। यह दिन में बलशाली होकर पूर्व दिशा की स्वामी है। धनु राशि वाले जातक सरल स्वभाव वाले, संतोषी एवं हर परिस्थिति से समझौता करने वाले होते हैं। धनु राशि वालों के लिए यह वर्ष मध्यम रहेगा। विपरीत विचार, विसंगति, पतितता, आर्थिक कष्ट भय वाला समय चल रहा है। न्यायिक उलझनें एवं झगडे़-झंझट से बचना होगा। शांति व धैर्य रखकर हर कार्य करें। तीर्थाटन से अचानक लाभ, सुख एवआत्मबल बढेग़ा। नई योजना, भूमि-भवन, वाहन, भौतिक सुख-सुविधा के लिए अतिव्यय या कर्ज की स्थिति बन सकती है। संतान पक्ष से चिंता रहेगी। जून से घर में मांगलिक कार्य के योग बनते हैं। नौकरी में पदोन्नति एवं व्यापार में भी धीरे-धीरे संतोषजनक परिवर्तन आएगा। संसारी वृत्तियों पर अंकुश लगाकर निम्न कोटि के विचारों से बचें एवं पारिवारिक सदस्यों पर ध्यान दें। गृहस्थी में सुख आएगा। विद्यार्थी संभलकर चलें। राजनेता सफल होंगे। कृषक को भी अच्छा लाभ मिलेगा। वर्ष में गुरु, राहु-केतु के जाप पूजन एवं दान से विशेष लाभ मिलेगा। 
मकर- मकर राशि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण श्रवण एवं घनिष्ठा नक्षत्र के दो चरणों से बनी है। मकर राशि पर जब सूर्य आते हैं, तो पवित्र उत्तरायन की ओर अग्रसर हो जाते हैं। मकर राशि के राशि स्वामी शनि है। मकर राशि का बल रात्रि एवं दिशा दक्षिण है। इस राशि के जातक सामाजिक गुण प्रधान होते हैं। यह दूसरों का अहित करने में हिचकिचाते नहीं है। दिल के कठोर एवं जिद्दी होते हैं। वैवाहिक सुखोपभोग के साधन इन्हें सशक्त रूप से प्राप्त होते है। मकर राशि वालों के लिए यह वर्ष श्रेष्ठ विचार, कर्तव्य परायणयुक्त सफलता वाला रहेगा। कर्म-क्षेत्र, घर ग्राम, राज्य सभी जगह मान-सम्मान मिलेगा एवं ख्याति प्राप्त होगी। भौतिक-सुख के साधन बढ़ने से मन में शांति आएगी। आपके माध्यम से कोई विशेष बड़ी योजना प्रारंभ होने के योग बनते हैं। सुख शांति के साथ पुत्र के योग हैं। नि:संतान दम्पति के यहां संतान के योग बनेंगे। इतना सब सुख होते हुए भी एक योग है कि कुछ समय कुटुंब में विग्रह की स्थिति भी बन सकती है। लोभवृत्ति छोड़कर समझदारी से काम लेना होगा। जून माह से वासना के प्रति रूचि में वृद्धि हो सकती है, अत: अपने पर संयम रखना होगा। जबाबदारी वाले काम आएंगे। विद्यार्थी को विशेष प्रयास करने पर सफलता मिलेगी। कृषक, व्यापारी एवं राजनेता लाभ, प्रतिष्ठा पाएंगे। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। इस वर्ष नवग्रह के जाप पूजन से विशेष लाभ मिलेगा। 
कुंभ- कुंभ राशि घनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण शतभिषा और पूर्वा-भाद्रपदा नक्षत्र के तीन चरणों से बनी है। कुंभ राशि के राशि-स्वामी शनि देव है। यह दिन में बलशाली रहती है एवं इसकी दिशा पश्चिम है। कुंभ राशि के जातक शांत प्रकृतियुक्त, अथक पराक्रमी, दूरदर्शी, चंचल प्रवृति वाले, ओजस्वी, अपने लक्ष्य के प्रति दृढ-संकल्पित और कामी होते है। कुंभ राशि वालों के लिए यह वर्ष सुख-समृद्धि के साथ उन्नति वाला रहेगा। भौतिक सुख, वाहन, भवन के लिए खर्च होगा। जनता से सम्मान वाला समय रहेगा। परंतु परिवार में भाई से मतभेद के योग है। स्वाभिमान की अति, जिद, हठधर्मिता को त्यागने पर अच्छी उन्नति होगी। बड़ा शुभ कार्य आपके द्वारा होने के योग है। राज्य से सम्मान के योग है। भय त्याग कर कार्य करें। जून से संतान सुख मिलेगा। कार्यशीलता में वृद्धि होगी एवं आपका प्रताप बढेग़ा। परिवार से सुख-संतोष की स्थिति बनेगी। तीर्थयात्रा के योग बनेंगे। विद्यार्थी, कृषक, व्यापारी, नेतागण सभी के लिए यह वर्ष उत्तम रहेगा। इस वर्ष गुरु, केतु की आराधना लाभदायक है। 
मीन- मीन राशि पूर्वा-भाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण उत्तरा-भाद्रपदा और रेवती नक्षत्र से बनी है। मीन राशि के राशि-स्वामी गुरु है। यह राशि रात्रि में बलशाली रहती है एवं इसकी दिशा उत्तर है। मीन राशि वाले जातक स्वच्छ-ह्रदय और एकाकी प्रवृति के होते हैं। यह हमेशा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए योजनाओं में उलझे रहते हैं। मीन राशि वाले अधिकतर दाम्पत्य जीवन में दुखी रहते हैं। मीन राशि वालों के लिए यह वर्ष शुभ-अशुभ फल वाला रहेगा। पिछले वर्ष की क्षति-पूर्ति होना संभव नहीं लग रहा है। अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से सलाह लेकर कार्य करें, क्योंकि भाई-बंधु से असहयोग, क्लेश की स्थिति बन सकती है। धर्म एवं पुण्य-कर्म से मन को शांति मिलेगी। नेत्र तकलीफ के योग बनते हैं। अपने बाहुबल के कारण महत्वाकांक्षा में बढ़ोतरी होगी। ध्यान से कार्य करें। निम्न-कर्म वाले लोगों के संपर्क में आने से रोग-पीड़ा होने के योग बनते हैं। संयम से आगे जीवन चलाएं। मित्र से सामान्य सहयोग मिलेगा। आपको शनि की साढ़ेसाती की पनौती चल रही है। आर्थिक, शारीरिक, पारिवारिक क्लेश किसी भी प्रकार की तकलीफ हो सकती है। जून से किसी मांगलिक कार्य एवं तीर्थ पर खर्च के योग बनेंगे। मनोवांछित फल प्राप्त होने का समय आएगा। विद्यार्थी को सफलता के लिए अधिक मेहनत करना पड़ेगी। कृषक, व्यापारी, राजनेता सभी के लिए मध्यम फल वाला वर्ष रहेगा। नौकरी वालों के लिए सामान्य रहेगा। इस वर्ष शिव एवं हनुमान जी पूजा-अर्चना उपासना लाभदायक रहेगी।


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हिंदू दशनामी संतों की मठ परंपरा




 कुम्भ में स्नान के लिए श्रीपंचायती तपोनिधि, निरंजनी अखाड़ा, श्रीपंचायती आनंद अखाड़ा, श्रीपंचायती दशनाम जूना अखाड़ा, श्रीपंचायती आवाहन अखाड़ा, श्रीपंचायती अग्नि अखाड़ा, श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और श्रीपंचायती अटल अखाड़ा वर्षों से भाग लेते रहे हैं। बाद में भक्तिकाल में इन शैव दशनामी अखाड़ों की तरह रामभक्त वैष्णव साधुओं के भी संगठन खड़े हुए। इन्हें अणि का नाम दिया गया। अणि यानि सेना। वैष्णव बैरागी साधुओं ने भी धर्म के संदर्भ में यह अखाड़े गठित किए, जिनमें तीन मुख्य थे। दिगम्बर अखाड़ा, श्रीनिर्वाणी अखाड़ा, श्री निर्मोही अखाड़ा। इनके अंतर्गत अनेक इकाइयां और भी थीं। संन्यासियों और बैरागियों के लिए कुम्भ के स्नान को लेकर भी द्वंद्व का इतिहास रहा है। लेकिन आजकल इनकी संयुक्त समिति गठित होने और सरकार द्वारा मान्यता दिए जाने से संघर्ष की स्थिति खत्म हो गई है। साधुओं की अखाड़ा परंपरा के बाद गुरु नामकदेव के पुत्र श्रीचंद्र द्वारा स्थापित उदासीन संप्रदाय भी श्रीपंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन एवं श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन नाम से सक्रिय हैं।


गोसाईं या बाबाजीयों की दशनामी मठ परंपरा और समाज का प्रचलन शंकराचार्य के समय से चला आ रहा है। शंकराचार्य ने ही उक्त समाजों की स्थापनी की थी। उन्होंने ही देश के चार कोनों में चार मठ स्थापित किए। बाद में दशनामियों के दस संप्रदाय की शुरुआत हुई। उक्त संप्रदाय में हिंदुओं की सभी जाति के लोग शामिल हुए। यह जातिबंधन तोड़ने की शायद सबसे पुरानी कोशिश थी।
मठ की स्थापना के बाद दशनामियों ने 200 वर्षों बाद मठिकाओं की स्थापना की। इन्हें बाद में मढ़ी भी कहा गया। यह मढ़ियां संख्या में 52 थीं। 27 मढ़ियां भारतीयों की, चार मढ़ियां वनों की और एक मढ़ी लताओं की कहलाती है। पर्वत, सागर और सरस्वती पदधारियों की कोई मढ़ी नहीं है। बावन मढ़ियों के अंतर्गत यह सारी संन्यास परंपरा समाजसेवा के लिए भी सक्रिय हैं। बाद में इनमें भी दंढी और गोसाई के दो भेद हुए। तीर्थ आश्रम सरस्वती एवं भारती नामधारी संन्यासी दंडी कहलाए। शेष गोसाइयों में गिने गए। बाद में इन्हीं दशनामी संन्यासियों के अनेक अखाड़े प्रसिद्ध हुए जिनमें से सात पंचायती अखाड़े आज भी सक्रिय हैं। कुम्भ में स्नान के लिए श्रीपंचायती तपोनिधि, निरंजनी अखाड़ा, श्रीपंचायती आनंद अखाड़ा, श्रीपंचायती दशनाम जूना अखाड़ा, श्रीपंचायती आवाहन अखाड़ा, श्रीपंचायती अग्नि अखाड़ा, श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और श्रीपंचायती अटल अखाड़ा वर्षों से भाग लेते रहे हैं। बाद में भक्तिकाल में इन शैव दशनामी अखाड़ों की तरह रामभक्त वैष्णव साधुओं के भी संगठन खड़े हुए। इन्हें अणि का नाम दिया गया। अणि यानि सेना। वैष्णव बैरागी साधुओं ने भी धर्म के संदर्भ में यह अखाड़े गठित किए, जिनमें तीन मुख्य थे। दिगम्बर अखाड़ा, श्रीनिर्वाणी अखाड़ा, श्री निर्मोही अखाड़ा। इनके अंतर्गत अनेक इकाइयां और भी थीं। संन्यासियों और बैरागियों के लिए कुम्भ के स्नान को लेकर भी द्वंद्व का इतिहास रहा है। लेकिन आजकल इनकी संयुक्त समिति गठित होने और सरकार द्वारा मान्यता दिए जाने से संघर्ष की स्थिति खत्म हो गई है। साधुओं की अखाड़ा परंपरा के बाद गुरु नामकदेव के पुत्र श्रीचंद्र द्वारा स्थापित उदासीन संप्रदाय भी श्रीपंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन एवं श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन नाम से सक्रिय हैं।
पिछली शताब्दी में सिख साधुओं के नए संप्रदाय निर्मल संप्रदाय और उसके अधीन श्रीपंचायती निर्मल अखाड़ा भी अस्तित्व में आया। इन सभी अखाड़ों के लिए कुम्भ इस कारण भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके चुनाव व नई कार्यकारिणियों का इस दौरान गठन करने की परंपरा चली आ रही है।
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Jagkalyan Sneh Milan 2013


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Friday 4 January 2013

Jagkalyan Sneh Milan 2013

जगकल्याण पत्रिका परिवार द्वारा आयोजित स्नेह मिलन 2013 में आप सभी सादर आमंत्रित हैं. सुझाव एवं सहयोग के लिए 8981633033  पर संपर्क करें.... 




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Manav Seva hi Ishwar Seva hai...

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