Wednesday 22 May 2013

ढाई सौ साल पुराना है भीमेश्वरी देवी मंदिर



नवरात्र के दिनों में झज्जर स्थित 84 घंटे वाली माता भीमेश्वरी देवी मंदिर की रौनक भी देखते ही बनती है। रोजाना संकीर्तन तो होता ही रहा है, दिल्ली-एनसीआर सहित देश के अन्य हिस्सों से भी यहां खासी संख्या में भक्त पहुंचते रहे हैं। मंदिर की खासियत इसके नाम के अनुरूप छोटे बड़े 84 घंटे ही हैं। मंदिर के पुजारी पंडित शिवओम भारद्वाज बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना लगभग 250 साल पहले हुई थी। मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा भी यहीं पर जमीन के भीतर से निकली थी। पंडित जी के मुताबिक उन के पूर्वज पिछली 10 पीढ़ियों से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मां की प्रतिमा गोद में उठाए जब भीम इंद्रप्रस्थ से कुरूक्षेत्र के लिए रवाना हुए तो यहां पर उन्होंने थोड़ी देर विश्राम किया था व साथ ही झपकी भी ली थी। किंतु उन्होंने मां की प्रतिमा को गोद में ही रखा जबकि बेरी में भीम ने मां की प्रतिमा को लघुशंका करने के लिए गोद में से नीचे रख दिया था। ऐसे में बेरी में तो मां भीमेश्वरी देवी के रूप में स्थापित ही हो गई, जबकि यहां पर जमीन से प्रतिमा निकलने पर उनका दूसरा मंदिर बना दिया गया।
पंडिताइन संतोष भारद्वाज बताती हैं कि मां ने कुछ भक्तों को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा था कि जब भी मेरे दर्शनों को बेरी आना, झज्जर के मंदिर में भी जरूर जाना। तब से बेरी जाने वाले भक्त यहां भी आने लगे। उन्होंने बताया कि नवरात्र में यहां रोज संकीर्तन होता है तो चौदस को भंडारा किया जाता है। इसके अलावा हर माह की चौदस को जागरण किया जाता है। नवविवाहित दंपति यहां पर अपनी जात लगाने आते हैं तो बच्चों के बाल भी उतारे जाते हैं। सन 1989-90 में पुर्नस्थापित इस मंदिर में नियमित आरती का समय सुबह 6 और शाम के 7 बजे का है। पंडित जी ने यह बताया कि दिल्ली रोड पर झज्जर बस स्टैंड से एक किलो मीटर व बेरी से करीब 13 किलोमीटर पहले माता के इस मंदिर में दिल्ली, कोलकाता, कटक, मुंबई एवं गुवाहाटी से सबसे ज्यादा भक्त आते हैं। पंडित जी मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प घटना यह भी बताते हैं कि जब उनके परदादा मंदिर की सेवा करते थे तो एक बार मां की नथ चोरी हो गई। इस पर उन्होंने इस सोच के साथ पूजा करनी बंद कर दी कि जब मां स्वयं की रक्षा नहीं कर सकती तो हमारी क्या करेगी! लेकिन तीन चार दिनों के भीतर ही कोई अपने आप मां को फिर से नथ पहना गया।

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Tuesday 21 May 2013

अनमोल वचन




हमारी जीभ कतरनी के समान सदा स्वछंद चला करती है। उसे यदि हमने दबा कर काबू कर लिया तो क्रोध आदि बड़े-बड़े अजेय शत्रुओें को बिना प्रयास के ही जीतकर अपने वश मेें कर डाला।
* बालकृष्ण भट्ट 
इंसान को सुनना सीखना चाहिए। इससे उसे यह लाभ होगा कि वह उन लोगोें से भी सीख सकेगा जो बातचीत करना तक नहीं जानते।
* भर्तृहरि 
किसी आदमी की बुराई-भलाई तब तक पता नहीं चलती जब तक वह बातचीत न करे।
* हरिभाऊ उपाध्याय 
सुधारक चाहे कितना भी श्रेष्ठ क्योें न हो, जब तक जनता उसे परख नहीं लेगी, उसकी बात नहीं सुनेगी।
* विनोबा भावे 
जो सुधारक अपने संदेश के अस्वीकार होने पर क्रोधित हो जाता है, उसे सावधानी, प्रतीक्षा और प्रार्थना सीखने के लिए वन मेें चला जाना चाहिए।
* महात्मा गांधी 
सुधार एक दिन मेें नहीं हो जाता, उसके लिए सुधारक को उपहास और विरोध सहने पड़ते हैं।
* प्रेमचंद 
*
यदि लोग अपना अपना सुधार भी कर लेें तो धीरे धीरे पूरा देश सुधर सकता है।
अमृतलाल नागर 

संकलन : राजेश मिश्रा (जगकल्याण समाचार संपादक)


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