हमारी जीभ कतरनी के समान सदा स्वछंद चला करती है। उसे यदि हमने दबा कर काबू कर लिया तो क्रोध आदि बड़े-बड़े अजेय शत्रुओें को बिना प्रयास के ही जीतकर अपने वश मेें कर डाला।
* बालकृष्ण भट्ट
इंसान को सुनना सीखना चाहिए। इससे उसे यह लाभ होगा कि वह उन लोगोें से भी सीख सकेगा जो बातचीत करना तक नहीं जानते।
* भर्तृहरि
किसी आदमी की बुराई-भलाई तब तक पता नहीं चलती जब तक वह बातचीत न करे।
* हरिभाऊ उपाध्याय
सुधारक चाहे कितना भी श्रेष्ठ क्योें न हो, जब तक जनता उसे परख नहीं लेगी, उसकी बात नहीं सुनेगी।
* विनोबा भावे
जो सुधारक अपने संदेश के अस्वीकार होने पर क्रोधित हो जाता है, उसे सावधानी, प्रतीक्षा और प्रार्थना सीखने के लिए वन मेें चला जाना चाहिए।
* महात्मा गांधी
सुधार एक दिन मेें नहीं हो जाता, उसके लिए सुधारक को उपहास और विरोध सहने पड़ते हैं।
* प्रेमचंद
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यदि लोग अपना अपना सुधार भी कर लेें तो धीरे धीरे पूरा देश सुधर सकता है।
अमृतलाल नागर
संकलन : राजेश मिश्रा (जगकल्याण समाचार संपादक)
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