Tuesday 18 September 2012

मंगल मूर्ति और कामना पूर्ति करते हैं ये




हर मनोरथ पूरा करने वाले भगवान श्री सिद्धिविनायक की प्रतिमा लगभग ढाई फुट ऊंची और दो फीट चौड़ी है। काले पाषाण के एक ही भाग पर सुंदर नक्काशी कर प्रतिमा बनाई गई है। प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। जिससे इस प्रतिमा का देवीय स्वरुप अद्भुत और जाग्रत दिखाई देता है। श्री सिद्धीविनायक की सूंड दाएं ओर मुड़ी हुई है। दाएं सूंड वाली गणेश प्रतिमा और मंदिर को बहुत सिद्धी देने वाला माना जाता है। ऐसे गणेश शीघ्र कृपा करने वाले और प्रसन्न होने वाले माने जाते हैं। भगवान की चार भुजाएं हैं। ऊपरी दांए हाथ में कमल का फू ल और बाएं हाथ में फर्शा लिए हैं। निचले दाएं हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में मोदक यानि श्री गणेश के प्रिय व्यंजन लड्डु का पात्र है।
भगवान श्री गणेश की प्रतिमा पर पवित्र सूत्र के रुप में यज्ञोपवित की भांति सर्प बांए कंधे से होकर दाहिने पेट से होता हुआ लिपटा हुआ है। श्री सिद्धिविनायक के मस्तक पर तीसरा नेत्र दिखाई देता है।
भगवान श्री गणेश के दोनों ओर देवी रिद्धि और सिद्धि की प्रतिमाए हैं, जो सफ लता और समृद्धि की प्रतीक हैं। मंदिर में चांदी के बने दो चूहों की प्रतिमा भी है। ऐसी मान्यता है कि श्री गणेश के यह वाहन भक्तों की इच्छाओं को भगवान तक पहुंचाते हैं। इसलिए मंदिर में आने वाले भक्त मूषक के पास जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं और उसके कानों में जाकर धीरे से अपनी कामना बताते हैं। भक्तों की आस्था है कि यह कामना भगवान श्री सिद्धि विनायक पूरी करते हैं। यह मंदिर में भगवान श्री गणेश के साथ रिद्धि-सिद्धि पूजनीय है, इसलिए यह मंदिर श्री सिद्धिविनायक मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां हर मास की दोनों पक्षों में आने वाली विनायक, संकष्टी चतुर्थी, बुधवार और गणेशोत्सव पर हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्म के लोग भी अपनी मन्नतें पूरी होने की कामना से दर्शन के लिए पैदल चले आते हैं।

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Manav Seva hi Ishwar Seva hai...

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